Wednesday, June 01, 2011

गति नहीं, गहराई की कविता है हाइकू


सहारनपुर। देश के जाने-माने गजलकार व हाइकु आंदोलन के ध्वजवाहक कमलेश भट्ट कमल का कहना है कि जापानी शैली की कविता हाइकू गति की नहीं, गहराई के लिए जानी जाती है। जब तक हाइकु कविता को रचनाकार साधना के स्तर तक नहीं ले जाएंगे तब तक वह उबाऊ ही रहेगी।

गजलकार कमेलश भट्ट यहां अंबाला रोड स्थित स्वामी रामतीर्थ केंद्र में नौ हाइकुकारों के संकलन 'इंद्रधनुष' पर साहित्यिक संस्था 'समन्वय' द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में अपना विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाइकु का चलन देश में तेजी से बढ़ा और आज गोपालदास नीरज जैसे गीतकार भी हाइकु लिख रहे हैं। पिछले तीन वर्ष में सहारनपुर एक बड़े हाइकु केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। यहां शारजाह से पूर्णिमा बर्मन, डा. अंजलि देवधर, डा. बलदेव वंशी, डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, डा. जगदीश व्योम जैसे बड़े-बड़े हाइकूकार आ चुके हैं। यहां के लगभग एक दर्जन रचनाकर हाइकु पर ध्यान दे रहे हैं। हाइकु पर गोष्ठी व काव्य पाठ आयोजन के लिए समन्वय की सराहना की। मुख्य वक्ता व वेब पत्रिका, 'हाइकु दर्पण' के संपादक डा. जगदीश व्योम ने हाइकु के इतिहास पर विस्तार से चर्चा करते हुए सुझाव दिया कि यदि हाइकु पर जापान की तरह कार्यशाला व हाइकु यात्राएं आयोजित की जाएं तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि आर.पी. शुक्ल ने सहारनपुर से अपना पहला हाइकु संग्रह प्रकाशित कराकर हाइकु मानचित्र पर सहारनपुर को नई पहचान दी है।

निवर्तमान मंडलायुक्त व इंद्रधनुष के संपादक आर.पी. शुक्ल ने कहा कि उनका प्रयास रहा है कि सहारनपुर के समस्त हाइकूकारों का संकलन सामने आए, लेकिन इसमें केवल नौ हाइकूकार ही शामिल हो सके। इस अवसर पर प्रसिद्ध साहित्यकार डाक्टर सुरेंद्र सिंघल ने कहा कि हाइकु अलग विधा है। इसके अलावा कवि कृष्ण शलभ, डा. वीरेंद्र आजम, हरी राम पथिक, कमलेश भट्ट कमल, डा. सपना सिंह, डा. आर.के. मैनी ने हाइकु की चुनिंदा पंक्तियों को सुनाकर लोगों की वाहवाही लूटी। संग्रह में प्रशासनिक अधिकारी रजनीकांत के भी हाइकु शामिल हैं। कार्यक्रम में अखिलेश मिश्र, सर्वेश प्रभाकर, आसिम पीरजादा, आसिफ शम्सी, अरिदमन सिंह, रमेश छबीला, के.के. गर्ग, डा. इरशाद सागर, वेद प्रकाश पोपली, चंद्रभान सहित शहर के अनेक साहित्यकार मौजूद थे।

- ( जागरण से साभार )

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