Sunday, January 19, 2014

सन्निधि हाइकु संगोष्ठी

गाँधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा एवं विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के तत्वावधान में राजघाट दिल्ली में हाइकु पर संगोष्ठी का आयोजन 18 जनवरी को किया गया, इस संगोष्ठी में हाइकु के साथ साथ क्षणिकाओं का भी पाठ किया गया। कमलेश भट्ट कमल के साथ इस संगोष्ठी में अनेक मित्रों से भेंट हुई जिन्हें फेसबुक पर ही देखा था। अतुल प्रभाकर और किरण आर्या का यह प्रयास बहुत सराहनीय है। डा॰ राजीव गोयल, सुशीला श्योराण, सुनीता अग्रवाल, अरुण सिंह रुहेला, वन्दना ग्रोवर, सीमान्त, बवली वशिष्ठ, अविनाश वाचस्पति, अभिषेक कुमार अभि आदि सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। इन सभी का उत्साह देखकर एक विचार आ रहा है कि हाइकु पर एक कार्यशाला दिल्ली में की जा सकती है..... शीघ्र ही कोई उपयुक्त स्थान खोजकर इसकी रूपरेखा बनाई जायेगी..... । सभी सदस्यों ने बहुत अच्छी हाइकु कविताएँ प्रस्तुत की। शिवमूर्ति तिवारी जी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। किरण आर्या ने बहुत अच्छी तरह से संचालन का दायित्व निभाया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में विजयदान देथा की रचनाओं पर आधारित नाट्य मंचन बहुत प्रभावक रहा। 










Thursday, May 30, 2013

हाइकु दर्पण का अगला अंक " हाइकु 1989 " विशेषांक


हाइकु दर्पण का अगला अंक " हाइकु 1989 " विशेषांक के रूप में प्रकाशित होने जा रहा है, जिसमें "हाइकु 1989" में प्रकाशित सभी 30 हाइकुकारों की हाइकु कविताओं को ज्यों का त्यों प्रकाशित किया जायेगा, भूमिका और कुछ टिप्पणियाँ भी रहेंगी। इस ऐतिहासिक हाइकु संकलन का संपादन कमलेश भट्ट कमल तथा रामनिवास पंथी ने किया था। यदि आप इस अंक को पढ़ने में रुचि रखते हैं तो कृपया सूचित करें और हाइकु दर्पण के आजीवन सदस्य बनकर सहयोग प्रदान करें।

-सम्पादक
हाइकु दर्पण

Saturday, March 09, 2013

पूना में आयोजित हाइकु समारोह में

पूना में आयोजित हाइकु समारोह में डा० अंजली देवधर ने सहभागिता की


Monday, December 10, 2012

बुलंदशहर में पहली बार हाइकु दिवस

बुलंदशहर में पहली बार हाइकु दिवस
आज 04 दिसम्बर 2012 को बुलंदशहर में पहली बार हाइकु दिवस मनाया गया. इस कार्यक्रम की अधक्ष्यता वरिष्ठ साहित्यकार राम पल शर्मा विश्वास द्वारा की गयी तथा सञ्चालन रमेश प्रसून द्वारा किया गया. कार्यक्रम में सबसे पहले कमलेश भट्ट कमल द्वारा हाइकु दिवस एवम हाइकु कविता पर चर्चा की गयी तदुपरांत कमलेश भट्ट कमल और रमेश प्रसून द्वारा हाइकु कविताओं का पाठ किया गया। कमलेश भट्ट कमल द्वारा संयोजित इस कार्यक्रम में सर्व श्री शम्भू दत्त त्रिपाठी देवदानपुरी, रवींद्र नाथ गर्ग, राजीव सक्सेना, निर्देश निधि तथा अलका शर्मा द्वारा भी काव्य प्रस्तुतियां दी गयी। इस अवसर पर राजीव सिंह एवं ज्ञानेंद्र की उपस्थिति उल्लेखनीय रही. इस कार्यक्रम के माध्यम से बुलंदशहर के प्रबुद्ध रचनाकारों द्वारा हाइकु कविता की गंभीरता, अर्थ गाम्भीर्य एवं अभिव्यक्ति सामर्थ्य को गहराई से समझा और सराहा गया।



हाइकु दिवस 2012 पर आकाशवाणी दिल्ली से प्रसारण

हाइकु दिवस 2012 पर आकाशवाणी दिल्ली से प्रसारण
हाइकु दिवस के अवसर पर 04 दिसम्बर को आकाशवाणी दिल्ली द्वारा हाइकु पर केन्द्रित परिचर्चा एवं हाइकु कविता पाठ का आयोजन किया गया जिसका प्रसारण आकाशवाणी दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ चैनल से 04 दिसम्बर 2012 को सायं 8 बजे किया गया। कार्यक्रम में सम्मिलित अर्बुदा ओहरी, सुजाता शिवेन, डा० उनीता सच्चिदानन्दन तथा डा० जगदीश व्योम ने हिन्दी हाइकु के प्रेरणा पुरुष डा० सत्यभूषण वर्मा के योगदान पर चर्चा करते हुए हिन्दी हाइकु की स्थिति, हाइकु पर केन्द्रित गतिविधियाँ, पत्र पत्रिकाएँ, इण्टरनेट पर हाइकु की स्थिति आदि पर विमर्श किया। इस अवसर पर हाइकु से सम्बंधित अनेक प्रश्नों के उत्तर डा० जगदीश व्योम नें दिये तथा हाइकु पर हो रहे कुछ महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी देते हुये बताया कि हाइकु कोश का कार्य चल रहा है इसमें अब तक प्रकाशित समस्त हाइकु संग्रहों एवं पत्र पत्रिकाओं से श्रेष्ठ हाइकु कविताओं के चयन का कार्य चल रहा है जिसे हाइकु कोश के रूप में प्रकाशित कराया जायेगा। फेसबुक पर चल रहे हाइकु समूहों की चर्चा भी इस अवसर पर की गई।

हाइकु दिवस 2012 पर रायबरेली में गोष्ठी

जग बहरा, कहॉ तक चिल्लाये, एक कबीर - (जय चक्रवर्ती):: हाइकु दिवस 2012 पर रायबरेली में गोष्ठी : एक रिपोर्ट
रायबरेली (04 दिसम्बर) हाइकु दिवस के अवसर पर ‘यदि‘ पत्रिका परिवार की ओर से हाइकु गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रमोद प्रखर ने तथा संचालन भामसुद्दीन ‘अज़हर‘ ने किया। गोष्ठी के प्रारम्भ में ‘यदि‘ के सम्पादक रमाकान्त द्वारा हाइकु विधा के उद्भव एवं विकास तथा हाइकु दिवस के इतिहास पर संक्षिप्त प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर डा० सत्यभूषण वर्मा को विशेष रूप से याद किया गया। हाइकु गोष्ठी के प्रारम्भ में सुधीर बेकस ने अपने हाइकु प्रस्तुत किये- जीवन क्या है जीकर जान लेते काश हम भी संवेदना ही ज़िन्दा रख सकेगी हम सबको ये दुनिया तो दुनिया ही रहेगी मेरे बाद भी जाना हमने सपने, सपने हैं जागने पर भामसुद्दीन अज़हर ने हाइकु प्रस्तुत किये- जीवन शैली अपनाई हमने कबूतर सी फ़सलें उगीं जीवन में अपने सुविचार की बैठ गये थे नदी किनारे हम आँसू लेकर राम अवध उमराव ने अपने हाइकु प्रस्तुत किये- हम बुद्धू हैं, तुम बद्धिमान हो चलो ठीक है रमाकान्त के ये हाइकु पसन्द किये गये- धरती बोली उड़ो आसमान में मैं हूँ साथ में यही सोचता कट जायेंगे दिन सुख आयेंगे दूर है वह चलना शुरू करो पास है वह कहो कुछ भी उसका कथानक शब्द से परे अजीत आनन्द का हाइकु - बहुत खोजा फिर भी नहीं मिला एक आदमी जय चक्रवर्ती ने हाइकु प्रस्तुत करते हुये कहा- नदी, बादल हवा, ख़ुशबू, फूल तेरे ही रूप हज़ारों मरे सरकारी आँकड़े सौ पर अड़े शायद तुम छिपे हो यहीं कहीं शायद नहीं जग बहरा कहॉ तक चिल्लाये एक कबीर रामनारायण ‘रमण‘ हाइकु प्रस्तुत किये- नाव नदी में मल्लाहों की आँखें नई सदी में गोष्ठी के अध्यक्षता कर रहे प्रमोद प्रखर ने हाइकु प्रस्तुत करते हुये कहा- मौसम आया हाइकु दिवस का रंगोली लाया मरना है तो कुछ करके मरो ऐसे न मरो। अन्त में रमाकान्त द्वारा सभी आगन्तुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।